Thursday, June 25, 2015

प्रा-कथन

हिन्दुओं के सबसे प्राचीन  एवम प्रमुख ग्रंथ वेद हैं जिनकी संख्या  चार है. ये चार वेद ऋक  , साम, यजुर  एवम अथर्व ही सर्वोच्च  ग्रंथ माने  जाते  हैं. इनके बाद आते  हैं ग्यारह  उपनिशद. हालांकि  अब तक दो सौ तेईस  उपनिशद पाये गए हैं पर ग्यारह  ही प्रामाणिक  हैं. चार वेदों एवम ग्यारह  उपनिषदों  के  बाद अठारह  पुराण  आते  हैं.
     वेदों मे हर विषय अत्यंत संक्षेप मे वर्णित है . वेदों में  वर्णित अध्यात्मिक सूत्रों की व्याख्या उपनिषदों मे है एवं ऐतिहासिक सूत्रों एवं घटनाओं की व्याख्या पुराणों मे है
पुराणों के बाद फिर वाल्मीकी रामायण एवम बहुत बहुत बाद मे महाभारत ग्रन्थ की रचना हुई. श्री मद भागवत गीता जो  अधिकांश  हिन्दुओं के  लिये सर्वोच्च ग्रंथ है वह महाभारत का ही एक भाग है. और  कई लोगों के  लिये सर्वोच्च एवम सबसे महत्वपूर्णा ग्रंथ राम-चरित-मानस है जिसकी रचना तुलसीदास जी द्वारा विक्रम समवत 1633 मे हुई.                 
हिन्दुओं क प्रमुख ग्रंथ -
4 वेद -
ऋग् वेद
साम वेद
यजुर वेद
अथर्व वेद





11 उपनिषद
ईश्
केन
कठ
प्रश्न

मुण्डक
माण्डूक्य
तैत्रेय
ऐतरेय

छान्दोग्य
बृहद-आरण्यक
श्वेताश्व-तर






 18 पुराण-
ब्राह्माण्ड
वराह
लिंग


ब्रह्म-वेवर्त
भागवत
स्कन्द


मार्कण्डेय
पद्म
अग्नि


वामन
गरुड़
मत्स्य


भविष्य
नारद
कूर्म






महाकाव्य
वाल्मीकि
रामायण
महाभारत
राम-चरित मानस






उपरोक्त वर्णित अठारह पुराणों मे से किसी  भी  पुराण  में  6 आवश्यक  भाग  जरूर  होते  हैं  जो  कहलाते  हैं  –
1) सर्ग (स्रष्टि )
2) प्रतिसर्ग (प्रलय )
3) वंश
4) वन्शानुचरित्र  एवं 
5) मन्वंतर
6) मूल  भाग  (उस  पुराण  का  वह  हिस्सा  जो  उसे  बाकी  सब  पुराणों  से  अलग  करता  हे  अथवा  वह  विशेष  विषयवस्तु  जिसको  वह  पुराण  वर्णन करता  हे )
बाकी के पांच हिस्से जो हैं वो सभी अठारह  पुराणों मे लगभग एक समान हैं .लेकिन हरेक ग्रंथ मे कोई ना कोई एक कड़ी गायब मिलती है जेसे की एक पहेली हो जिसे सिर्फ पूरे  अठारह  पुराण पढ़ने पर ही सुलझाया जा सकता हो. इस पुस्तक मैं  सभी  अठारह पुराणों  में   एवं  रामायण  एवं  महाभारत  मैं  जितना  भी  वंश  नामक  हिस्सा  हे ,वह  लिखा गया है क्योंकि  किसी  भी  एक  पुराण  में  ये  पूरी  तरह  से  प्राप्त  नहीं  होता .

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