Thursday, June 25, 2015

अध्याय 2.3 – दक्ष प्रजापति


Daksh की  24 कन्या  हुईं  जिनका  सबसे  पहले  ही  वर्णन  किया  जा  चुका  हे . सम्भूति , अनुसूया, स्मृति, प्रीती, क्षमा, सन्नति, ऊर्जा, ख्याति , सती  स्वाहा  , स्वधा आदि  11 कन्याओं  का  विवाह  क्रमशः मरीचि, अत्री  , आंगिरस , पुलत्स्य, पुलह ,  क्रतु , वशिष्ठ, भृगु , शिव अग्नि (बनही ), एवं पितृ से  हुआ .
       बाकी  तेरह  कन्याओं  का  विवाह धर्म  के  साथ  हुआ . इन  तेरह  कन्याओं  के  नाम  थे -श्रद्धा, मैत्री, दया, तुष्टि, शांती, पुष्टि, क्रिया, उन्नति, बुद्धि, मेधा, तितिक्षा, हृ एवं मूर्ति.
दक्ष के एक प्रसिद्ध यज्ञ मे जब उनकी पुत्री सती ने आत्मदाह कर लिया था तब एक भयंकर संग्राम मे दक्ष का सर शिव के गणों  ने काट दिया था एवम यज्ञकुण्ड मे डालके जला दिया था. बाद मे सब कुछ शांत होने के बाद देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने दक्ष के धड़ पर बकरे का सर लगाकर पुनर्जीवित किया था.              
                              परंतु दक्ष ने फिर उस शरीर को ज्यादा दिन नहीं रखा ओर प्राण त्याग दिये एवं मनु के वंश मे प्रचेता के पुत्र बनके आये. इनका विवाह आसिकनी से हुआ एवं इनकी 50  पुत्रियां पैदा हुईं. इन दक्ष प्राचेतस ने अपनी 50 पुत्रियों मे से 10 का विवाह धर्म से, 13 का विवाह मरीची पुत्र कश्यप से , 27 का चन्द्रमा से किया.

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